अर्जी क्यों लगानी होती है ?

सर्वप्रथम करौली धाम के दरबार में आकर अपनी श्रद्धा अनुसार पूजनीय बाबा जी एवं माता जी की अर्जी काउंटर से लेकर दोनों दरबारों में प्रार्थना करते हैं । पूजनीय माता जी के दरबार में लगे हुए तीन त्रिशूल में से किसी भी एक त्रिशूल को पकड़ कर अपनी समस्या को उन्हें मन ही मन बताना होता है , जिसे भगवान भोलेनाथ व माँ कामाख्या जी सुनते हैं । और उसका निराकरण करते हैं । ऐसी दरबार की आस्था एवं विश्वास है ।

बंधन क्या होता है ?

बंधन से आपकी प्रेत बाधा व तंग कर रहे पूर्वजों को आपके ही डीएनए के ऊर्जा पथ के साथ बाँध दिया जाता है , यानि आपके ऊपर अब कोई दूसरी प्रेत बाधा नहीं आएगी और आपके साथ जो है , उसे भी भागने का मौका नहीं मिलेगा , या तो उसका संहार - भस्मीकरण किया जाएगा या उसकी मुक्ति होगी , जिससे आप सदा - सदा के लिए समस्या के आने - जाने व पूर्वज जनित बीमारियों से सदा - सदा के लिए मुक्त हो जाएँगे ।

बंधन के नियम क्या हैं ?

बंधन की समयावधि तीन माह है । तीन माह पूर्ण होने पर यह स्वतः ही खंडित हो जाता है । तीन माह पश्चात इसे पुनः बदलना होता है । बंधन बाँधने के बाद यदि आपके शरीर से अलग हो जाए , जमीन पर गिर जाए तो भी खंडित हो जाता है । बंधन बाँधने के बाद यदि मांस या शराब का सेवन करते हैं , तय खंडित हो जाता है । तीनों अवस्थाओं में नया बंधन बांधना होता है । इसे पहले से ही करौली धाम से लाकर घर पर रखा जा सकता है । महिला यदि गर्भवती है तो उसका बंधन नौ माह तक मान्य है , किंतु प्रसव से एक दिन पहले खोल देना अनिवार्य है । एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को बंधन की अनिवार्यता नहीं है । परिवार के सभी सदस्यों को बंधन अनिवार्य होता है , यदि घर में कोई व्यक्ति नहीं बाँधता है तो उस अवस्था में बंधन को दरबार से ले जाकर पैकेट से बाहर निकालकर उस परिवार के सदस्य से स्पर्श कराकर उसके बिस्तर के नीचे रख दें या अपने मंदिर में शिव परिवार या बाबा जी के स्वरूप के पीछे रख दें । या परिवार का सदस्य नौकरी - व्यापार के सिलसिले में बाहर है तब उसके चित्र से स्पर्श करके यही प्रक्रिया अपनाएँ । उसका बंधन स्वीकार लिया जाता है ।

हवन - नमन क्यों कराए जाते हैं ?

चूंकि आपके साथ प्रेत व पूर्वज हैं ही । आपके द्वारा दरबार के वीडियो देखते ही या आपके दरबार में आते ही उनमें खलबली मच जाती है तथा प्रेत स्वतः ही बँध जाते हैं । हवन या नमन से इन गंदी शक्तियों को खत्म करने का आधार मिलता है । हवन किट में कुल 21 दिव्य अभिमंत्रित एवं सिद्ध की हुई वस्तुएँ हैं , जिनके अग्नि में संपर्क मात्र होने से करौली धाम की दैवीय शक्तियाँ स्वतः ही सक्रिय होकर हवन स्थल पर पहुँचकर , आपके घर में वर्षों से कब्जा जमा कर बैठी नकारात्मक शक्तियों को पकड़कर उसी हवन में भस्म करना शुरू कर देती हैं । इससे सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव आप व आपके घर परिवार पर पड़ता है। इस प्रक्रिया में नकारात्मक शक्तियों को भी लाभ होता है , उनकी मुक्ति तथा उद्धार का रास्ता खुलता है, हालांकि उन्हें इससे कुछ परेशानी होती है , लेकिन अंततः वे आपके पूर्वज ही होते हैं और यदि वे मुक्त होते हैं , तो इसका पुण्य भी आपको ही मिलता है । यही हवन की सबसे बड़ी उपलब्धि भी होती है । इसलिए इनके चिह्न आपके मस्तक पर अंकित होते जाते हैं । नमन में भी यही होता है , पर चूंकि यहाँ सामग्री जैसी वस्तु प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं होती है , इसलिए यह प्रक्रिया होते हुए नहीं दिखती है केवल परिणाम के आधार पर ही समझ में आती है । समय सीमा का निर्धारण भी इसलिए नहीं हो पाता । अन्यथा यदि पूजनीय बाबा जी और गुरुमाता जी की कृपा हो जाती है तो फिर हवन से भी तेज गति से यहाँ परिणाम आ जाते हैं । बहुत लोगों को ये लाभ मिले हैं , मिल रहे हैं ।

संकल्प क्यों जरूरी है ?

संकल्प करना एक प्रकार से अपनी इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करना है । यह ध्यान करने जैसा ही है । इससे मन में शांति व एकाग्रता आती है । नकारात्मकता दूर करता है । विद्यार्थी पढ़ते समय या किसी भी कार्य को करते समय इसे करना सभी के लिए लाभप्रद रहता है । इसके अलावा यदि आप प्रक्रिया में हैं और आपकी प्रेत - पूर्वज बाधा दूर हो रही है , तब भी वह अपना असर छोड़ती है । इसी असर की समाप्ति के लिए यंत्र स्थापना न होने तक बार - बार लघु व वृहद संकल्प करते रहना इसलिए जरूरी है ताकि वह नकारात्मक ऊर्जा , आपकी श्रद्धा या आस्था की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में जल्द से जल्द बाहर निकल जाए । वह उतना ही परेशान करती है , जितना की मूल, प्रेत - पूर्वज करते हैं । दस प्रतिशत लोगों को यह असर बहुत परेशान करता है और भ्रम भी उत्पन्न करता है लेकिन घर में यंत्र स्थापना करके , दरबार आकर संकल्प लेने के बाद यह असर पूर्ण रूप से स्वतः ही समाप्त हो जाता है । जबकि पहले यह असर लंबे समय तक परेशान करता था । क्योंकि , जिसने खूब तंत्र - मंत्र , जादू - टोना किया , ओझा - मौलवियों व झाड़ - फूंक वालों के चक्कर लगाए होते हैं , उनमें प्रेतों की संख्या भी उतनी ही अधिक होती है । फिर जब उनका संहार होता है , तो उतने ही अधिक प्रेतों का असर भी छूटता है । और उतना ही अधिक समय उसे निकालने में लगता है , लेकिन अब भगवान भोलेनाथ व माता कामाख्या के आशीर्वाद व गुरुकृपा से जैसे ही नई शक्ति खोली गई है , तब से यंत्र स्थापना करके दरबार आकर संकल्प लेते ही , प्रेतों का असर , घर व जमीन में गड़ी व रखी गंदी वस्तुओं का असर एक क्षण में ही पूरी तरह से समाप्त हो जाता है ।

संकल्प कैसे करना है ?

करौली धाम में आने वाला , विश्वास करने वाला प्रत्येक व्यक्ति असर का लघु संकल्प कर सकता है । इसे करने से रोग व दोष का धीरे - धीरे शमन होता है , वे समाप्त होते जाते हैं । लघु संकल्प केवल 15 सेकंड का है । इसे रोजाना दिन में 10 से 12 बार करना है । प्रक्रिया आसान है । दोनों हाथों की उंगलियाँ आपस में फंसा लें , सीने के बीच में रखें । दोनों आँखें बंद करें । अपने - अपने हृदय में भगवान भालेनाथ का ध्यान करें , शक्ति स्वरूपा माँ कामाख्या का ध्यान करें , बाबा को प्रणाम करें , गुरुमाता जी को प्रणाम करें । फिर तीन बार बोलें ओम नमः शिवाय । फिर हाथ की हथेलिया आसमान की ओर उठा ले और पुनः तीन बार बोले , ओम नमः शिवाय । हथेलियां जमीन पर रख ले , पुनः तीन बार बोले ओम नमः शिवाय । दोनो हथेलियो से तीन बार जमीन पर थपकी दे । हथेलियां आपस में रगदे फिर आखो पर रखे । ऐसा तीन बार करे । फिर धीरे - धीरे आखे खोल ले । असर का लघु संकल्प पूर्ण हुआ । यह वही लोग कर सकते हैं जिन्होने करौली धाम से कम से कम पाँच हवन कर लिए हैं । इसकी पूरी विधि यूट्यूब पर भी दी गई हैं ।

क्या हम असाध्य रोगियो को लेकर दरबार आ सकते हैं ?

बिल्कुल भी नही , क्योकि दरबार में फिलहाल इमरजेंसी सेवए उपलब्ध नही हैं इसलिए ऐसे किसी भी व्यक्ति को दरबार मत लाये , जिसे आपके अथवा किसी अन्य के सहारे की आवश्यकता पड़ती हो ऐसे किसी भी असाध्य रोगी का प्रवेश आश्रम में वर्जित हैं । अन्यथा उसके साथ हुई किसी दुखद घटना के लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। आप उसका पहना, उतरा हुआ कपड़ा ( जोकी उतारने के बाद धोया न गया हो) को लेकर तथा उसकी एक फोटो मोबाइल में खीचकर दरबार आ सकते हैं और गुरु जी से मिलकर उस असाध्य रोगी के लिय प्रार्थना व संकल्प करके , उसके कष्टों का निवारण करा सकते हैं ।

सिद्ध दिव्य हवन से सम्बंधित जानकारी हेतु ?

पूरी प्रक्रिया में आपको कुल नौ हवन करने होते हैं। ये हवन आप माता जी के दरबार प्रांगण में भी कर सकते हैं या अपने घर व प्रतिष्ठान पर ले जाकर भी कर सकते हैं। नौ हवन लगातार नौ दिन में भी किए जा सकते हैं, बस यह ध्यान रखा जाए कि यदि इस बीच अमावस्या हो तो उस दिन हवन न किया जाए। और यदि अमावस्या से पहले ही आपके सात हवन पूरे हो गए हैं तो दरबार आकर आप अमावस्या कार्यक्रम में भी भाग ले सकते हैं। यह आपकी इच्छा पर निर्भर है, अन्यथा नौ हवन के बाद अमावस्या के कार्यक्रम में भाग ले ही सकते हैं। दरबार के हवन, सिद्ध हवन हैं जो 21 अभिमंत्रित सामग्रियों से वैदिक विधि-विधान द्वारा तैयार किए गए हैं। ये हवन आसानी से घर पर ही किए जा सकते हैं। इसके लिए ब्राह्मण, कथा, मंत्र या किसी प्रकार के अन्य अनुष्ठान की कोई पूर्व तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। हवन किट में पूरी विधि व नियम लिखे गए हैं।

घर पर कोरियर द्वारा सिद्ध यंत्र, बंधन या सिद्ध हवन किट मँगवाने एवं उससे सम्बंधित जानकारी हेतु

कोरियरसुविधा को दो तरीक़ों से उपलब्ध किया जा सकता है :-

  1. Manual Process-
    कृपया WhatsApp Mobile number 9369353574 पर मेसेज द्वारा अपनी कोरियर बुकिंग करायें
  2. E-commerce Website-
    कृपया दिए गए निम्नलिखित लिंक को दबाने पश्च्यात दरबार की website में प्रवेश कर उसके माध्यम से अपना कोरियर बुक करवाएँ
    https://karaulisarkar.com/shop.php

एक दिवसीय सम्पूर्ण चिकित्सा कार्यक्रम की जानकारी

  • प्रातः 8:30 बजे पूजनीय गुरु जी द्वारा आपका डीएनए चेक करना
  • प्रातः 9:00 बजे पूजनीय माता जी के मंदिर में हवन करना
  • प्रातः 11:00 बजे पूजनीय बाबा जी के दरबार में रुद्राभिषेक करना
  • दोपहर 12:00 बजे लंच
  • दोपहर 1:00 बजे ब्लैक मैजिक का संकल्प करना
  • दोपहर 2:00 बजे पूजनीय बाबा जी के दरबार में हवन में बैठना
  • दोपहर 3:15 बजे स्मृति चिकित्सा का संकल्प करना
  • सांय 4:00 बजे चाय नास्ता
  • सांय 5:00 बजे पूजनीय माता जी के मंदिर गुरु माता जी के साथ हवन में बैठना
  • सांय 6:30 बजे पूजनीय माता जी के मंदिर में आरती
  • सांय 7:00 बजे पूजनीय बाबा जी के दरबार में आरती
  • सांय 7:30 बजे श्री विष्णु सहस्त्र नाम पाठ और हवन करना
  • रात्रि 9:00 बजे पूजनीय गुरु जी से जांच, परामर्श और सुझावों हेतु मिलना